जन्म राशि – वैदिक ज्योतिष में सबसे अधिक महत्व राशियों, भावों नक्षत्रों का होता हैं, जिसमें द्वादश राशियों के बारे में हम विस्तार से बताने की कोशिश कर रहे हैं। जन्म का चंद्रमा जिस राशि में होता है, हमारा व्यवहार भी उस राशि के अनुसार होता है।

1. मेष राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
मेष राशि के स्वामी मंगल होते हैं। मेष राशि वालो के स्वभाव में गुस्सा होता है, ये जल्दी क्रोधित होते हैं, पर जल्दी मान भी जाते हैं। अग्नि तत्व की राशि होने से इनकी पाचन शक्ति अच्छी होती है, लेकिन फिर भी एसिडिटी के शिकार रहते हैं। चर राशि होने पर इनका मन चलायमान रहता है। इनकी घूमने की प्रवृति होती है। इनमें लड़ने की क्षमता भी अच्छी होती है। ये अपने निर्णय शीघ्र बदलते रहते हैं। इनका शरीर स्वास्थ होता है। व्यवहार से साहसी व तेजस्वी होते हैं। इनकी स्मरण शक्ति तेज होती है। ऐसे जातक परोपकारी, कोमल स्वभाव, तेजस्वी, सुशील, सभी के चित को प्रसन्न करने वाले, साहसी, उद्यमी एवं परिश्रमी होते हैं। ये रुढी और स्वतंत्र विचार वाले होते हैं। इनकी स्मरण शक्ति भी तेज होती है। अग्नि तत्व प्रधान होने के कारण जातक उत्तेज़ित प्रकृति वाला, परिवर्तनशील तथा अस्थिर स्वभाव का होता है। ये लोग क्षणिक क्रोधित हो जाने पर शीघ्र मान भी जाते हैं। ये भ्रमण प्रिय प्रकृति अर्थात् घूमने फिरने का विशेष शौक रखते हैं। इनको अपने भाईयों का सहयोग नहीं मिल पाता। मंगल शुभ हो तो जातक बड़े से बड़े शत्रु से टकराने से नहीं डरता तथा अपने निश्चय पर अडिग रहता है। ये नई-नई योजनाएं बनाने में कुशल होते हैं। मेष राशि की स्त्री गृहस्थ जीवन को उज्जवल बनाने के लिए व्यवसायिक क्षेत्र में कार्यरत रहना अधिक पसंद करती है। इनको कला आदि का विशेष शौक होता है।
2. वृष राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
वृष राशि के स्वामी शुक्र होते हैं। वृष राशि वाले सहनशील व धैर्यवान होते हैं, और कोई भी कार्य करते हैं तो स्थिर होकर करते हैं। इनका स्वभाव ठंडा होता है। वस्तुओं का सही तोल-मोल तो करते हैं परन्तु निर्णय लेने की क्षमता कम होती है। ये दूसरों पर निर्भर रहकर कार्य करते हैं। सामान्यता ये कलात्मक होते हैं। इनका झुकाव भौतिकता में अधिक होता है। इस राशि वाले अधिकतर देखने में सुंदर होते हैं। ये व्यवहार से रसिक और दिखावा पसंद करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने हठ पर दृढ़ रहते हैं। आराम पसंद रहना ये अपना धर्म समझते हैं। ये व्यक्ति तेजस्वी, संघर्षशील, स्वाभिमानी, श्रेष्ठ मित्रों से युक्त, माता-पिता तथा गुरु के भक्त होते हैं। छोटे-छोटे कामो पर भी लम्बे समय तक विचार करते रहते हैं। ये लोग सुखमय तथा अधिकार पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। इस राशि के जातक प्राय: बैंकिंग, तेल एवं इत्रादि व्यवसाय, भवन-निर्माण, विज्ञापन अथवा कलादि से सम्बन्ध रखने वाले होते हैं। इन्हे पुत्र, स्त्री, वाहन, भूमि एवं घर का सुख पूर्ण रूप से मिलता है। इस राशि वाली स्त्रियां बड़ी अच्छी गृहणी सिद्ध होती हैं। उन्हें परम्परगत विषयों की अपेक्षा नवीन विषयों के अध्ययन में विशेष रूचि होती है।
3. मिथुन राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
मिथुन राशि के स्वामी बुध होते हैं। मिथुन राशि वाले एक जगह पर टिक कर नहीं रहते, इस राशि वाले लोग द्विस्वभाव होने के कारण जल्दी निर्णय नहीं ले पाते। ये लोग मिश्रित व्यवहार के और कलात्मक होते हैं। ये पढ़ाई में अच्छे होते हैं और लेखक, कविताकार और बुद्धि के कार्य करने वाले होते हैं। ये लोग सीखकर पढ़कर कार्य करने वाले बुद्धिमान होते हैं। इनकी सोच सकारात्मक और नकारात्मक दोनों होती है। ये बोलने में चतुर, हर भाषा में चतुर, परन्तु अपने हर काम को एक सीमा तक करते हैं। ये कभी सख्त कभी नर्म होते हैं। शूद्र वर्ण होने के कारण ये नौकरी करना अधिक पसंद करते हैं। इनकी स्वतंत्र निर्णय की क्षमता नहीं होती और बातो में व्यंग्य करने को प्राथमिकता देते हैं। इस राशि का जातक प्राय: लम्बे कद, गौर-वर्ण, सुंदर बाल तथा बड़ी नाक वाले होते हैं। इनके चेहरे से ही बुद्धिमानी झलकती है। यह जातक मधुरभाषी, चतुर, दयालु, दृढ़-प्रतिज्ञ, विद्वान, धनी, प्रत्येक कार्य करने में तत्पर, अत्यंत विवादी, कुशाग्र बुद्धि, भोगी, विलासी, चंचल-चित्त, सर्वप्रिय और भोजन के प्रिय होते हैं। इन्हे आकस्मिक धन का लाभ भी होता है। इनका नरम स्वभाव होने के कारण इनको कमजोर भी समझा जाता हैं, परन्तु तीक्ष्ण बुद्धि तथा तर्क-वितर्क करने में ये कुशल होते हैं। घरेलू झगड़ो एवं कारोबारी उलझनों के कारण सदा चिंतातुर रहते हैं, फिर भी संकट के समय ये अपने हितो की रक्षा करने में जुट जाते हैं। यदि ये कोई त्रुटि भी करते हैं तो दुनिया से बचा कर करते हैं और यदि कोई अनिष्ट होता दिखाई दे, तो तुरंत सम्भल भी जाते हैं। क्रय-विक्रय, लेखन-पत्र कार्य, एकाउंट्स, बैंकिंग एवं तकनीकी कार्यो में विशेष सफल हो जाते हैं। ये भ्रमणशील तथा परिवर्तन प्रिय होते हैं। ये लोग व्यवसाय के स्थान पर नौकरी में कुछ सफल हो पाते हैं। इस राशि के लोगो को अनिंद्रा, पेट की बीमारी का भय रहता है।
4. कर्क राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं, जो जल प्रधान राशि है, जिससे अधिकतर इनका मन चंचल रहता है। इनके मन में संयम नहीं रहता। ये कफ प्रकृति के होते हैं, बहुत भावुक होते हैं व भावना के आवेग में शीघ्र बह जाते हैं। इनकी धार्मिक प्रवृत्ति होती है। ये जलीय वस्तुओं को पसंद करते हैं। इस राशि के अधिकतर व्यक्ति सुंदर और आकर्षक होते हैं। इनका व्यवहार कल्पना-शील मिलनसार, कला-संगीत के प्रेमी और ये साहित्य व सौन्दर्य में रूचि रखते हैं। ये लोग परस्थितियो के अनुसार ढ़ल जाते हैं। ये ईमानदार व दयालु होते हैं। इनके आय के साधन एक से अधिक होते हैं और धार्मिकता की ओर रुझान होता है। जल तत्व प्रधान एवं चर राशि होने से जातक सुंदर एवं आकर्षक मुखकृति गोल चेहरा और मध्यम कद वाला होता है। चंद्रमा-मंगल शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, संवेदनशील, चंचल, उच्च कल्पनाशील, समयानुकूल काम निकालने में कुशल और मिलनसार प्रकृति का होता है। यदि चन्द्रमा अशुभ हो तो जातक चिड़चिड़ा स्वभाव, नए वातावरण से शीघ्र प्रभावित होने वाला होता है। ये प्राकृतिक सौंदर्य, कला-संगीत एवं साहित्य में विशेष रूचि रखते हैं तथा सौंदर्यानुभूति भी विशेष रूप से रखते हैं। ऐसा जातक परिस्थितियों के अनुसार ढ़ल जाने वाला, प्यार सम्बन्धो में सच्चा, ईमानदार और सहृदय-दयालु प्रकृति का होता है। ऐसा जातक दिल से जिस काम को करना चाहे कर ही लेता है। इनके आय के साधन एक से अधिक होते हैं। इनकी कल्पना शक्ति प्रबल होती है। इनमें अन्य पुरुष के भावों को शीघ्र समझ लेने की विशेष क्षमता होती है।
5. सिंह राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
सिंह राशि के स्वामी सूर्य होते हैं। ये अग्नि तत्व की राशि है, जिससे इनको गुस्सा जल्दी आ जाता है परंतु नर्म भी जल्दी हो जाते हैं। पित्त प्रवृति के होने पर ये लोग भोजन जल्दी पचा लेते हैं। ये व्यवहार से नेतृत्व की क्षमता रखते हैं और एक जगह टिक कर काम करते हैं। ये स्वाभिमानी होते हैं। इनका व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है। ये पराक्रमी व बुद्धिमान होते हैं और बड़े काम से घबराते नहीं हैं। ये उच्च स्तर में कार्य करने वाले होते हैं। ऐसे लोग अधिकतर राजसत्ता व सरकारी पदवी पर होते हैं। ये प्रतिनिधित्व का कार्य करने वाले होते हैं। इनका शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है और पाचन शक्ति अच्छी होती है। इस राशि में जन्म लेने वाला जातक सुंदर-पुष्ट शरीर वाला, चौड़ा मस्तक, सुगठित, आकर्षक एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला होता है। जातक बुद्धिमान, कुशल उद्यमी, कर्मठ, निडर, स्वतंत्र विचारों वाला, पराक्रमी, कुशल नीति के अनुसार आचरण करने वाला, उच्च महत्वाकांक्षी, खानपान का शौकीन, देश-विदेश में भ्रमण करने वाला होता है तथा शीघ्र उत्तेजित हो जाने की प्रकृति होने पर भी अपने बुद्धि-चातुर्य से स्थिति को संभाल लेने वाला होता है। ये छोटी-छोटी एवं मामूली बातो को उपेक्षा की दृष्टि से देखने वाला होगा तथा बड़े बड़े कामों को भी अपने उद्यम द्वारा पूरा करने में तत्पर हो जाता है। इनको भाई-बंधु होने पर भी उनका सुख कम रहता है। ये उच्च अभिलाषी होने के कारण प्रत्येक कार्य व्यवसाय को बड़े पैमाने एवं उच्च स्तर पर करना पसंद करते हैं। इनको उच्च स्तर, वैभवशाली एवं विलासी जीवन-यापन करने की प्रबल इच्छा रहती है, जिसके कारण अपनी सीमा से बढ़ कर भी खर्च कर ड़ालते हैं। इस राशि वाली कन्या का बाहरी रूप आकर्षक होता है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
6. कन्या राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
कन्या राशि के स्वामी बुध होते हैं। ऐसा जातक समझदार व धैर्यवान होता है और शांत व सहनशील प्रवृति का होता है। ये लोग कठिन समय में भी घबराते नहीं हैं। ये अच्छे व्यापारी भी होते हैं। ये राशि द्विस्वभाव होने पर नकारात्मक व सकारात्मक दोनों की सोच रखते हैं। ये लोग अकाउंटेंट, बैंकिंग, ट्रेडिंग, अध्यापन और ज्योतिष का काम करना पसंद करते हैं और अच्छे लेखक भी होते हैं। परन्तु एक जगह पर अधिक समय टिक कर कार्य नहीं कर पाते। इनकी वाणी व वाक् शक्ति में कुशलता होती है। ये कोमल स्वभाव के होते हैं और व्यंग्य करना पसंद करते हैं। ये जातक प्रियभाषी, कार्य में सहायक, लज्जाशील प्रकृति, नरम स्वभाव और नीति के अनुकूल काम करने वाला होगा। कल्पनाशील सूक्ष्मदर्शी एवं संवेदनशील स्वभाव का होता है। ये शांतचित एवं एकांतप्रिय प्रवृति के होते हैं, परन्तु कठिन एवं विपरीत परस्थितियों में भी स्वयं को ढ़ालने का सामर्थ्य रखते हैं। एक ही समय पर अनेक भाषाओं एवं विषयो में पारंगत होने की चेष्टा करते हैं। संगीत, कला-साहित्य की ओर विशेष दिलचस्पी रखने वाले होते हैं। द्विस्वभाव एवं परिवर्तनशील प्रकृति होने के कारण एक विषय पर अधिक काल तक स्थिर नहीं हो पाते। बुध-शुक्र का योग होने से लेखा-गणित, संगीत, कला, अध्यापन, लेखन, क्रय-विक्रय में रूचि रहती है। ये बुद्धिमान, तीव्र स्मरण शक्ति एवं अध्ययनशील प्रकृति के होते हैं।
7. तुला राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
तुला राशि के स्वामी शुक्र होते हैं। शुक्र के स्वामित्व होने पर यह सौम्य व भावुक होते हैं। चर राशि होने पर ये घूमने-फिरने के शौकीन होते हैं और किसी के नीचे रह कर कार्य करना पसंद करते हैं। परंतु यह एक स्थान पर टिक कर नहीं रहते। इनकी निर्णय लेने की शक्ति कुछ कमजोर होती है। ये सुंदरता को पसंद करते हैं और कलात्मक होते हैं। इन्हे देश-विदेश घूमने का शौक होता है और आकर्षक स्वभाव होता है। ये न्यायशील होते हैं और गहराई व सूक्ष्मता प्रवृत्ति के होते हैं। कोई बात हो तो जल्दी भूल जाते हैं। ये लोग कलात्मक होते हैं। ऐसा जातक श्वेत एवं सुंदर वर्ण, मध्यम अथवा लम्बा कद, सौम्य एवं हसमुख प्रकृति वाले होते हैं। ऐसे जातक न्यायप्रिय, व्यवहारशील एवं नीति के अनुसार कार्य करने में कुशल होते हैं। ये ईमानदार मिलनसार, नए-नए मित्र बनाने में कुशल होते हैं। इनकी सौंदर्यानुभूति विशेष होती है। संगीत, कला, नाट्य की ओर इनका विशेष झुकाव रहता है। इनका रहन-सहन का ढ़ंग रहीसी एवं प्रभावपूर्ण होता है। जातक पर संगीत का प्रभाव जल्दी होता है। चंद्रमा-शुक्र शुभ हो तो मानसिक एवं कल्पना शक्ति प्रबल होगी, परन्तु मन की केंद्रीय शक्ति बहुत देर तक नहीं रहती। ये जब तक किसी कार्य में लगे रहे, तब तक दिलोजान और मजबूत दिल से करते हैं, परन्तु अपने विचार एवं योजना में परिवर्तन करने में शीघ्र तैयार भी हो जाते हैं। जातक को देश-विदेशों में अनेक स्थानों पर भ्रमण करने के अवसर प्राप्त होते हैं। जातक बुद्धिमान, तर्कशील, सावधान एवं सतर्क रहने वाला, मध्यस्थता एवं न्याय करने में कुशल, विपरीत योनि के प्रति झुकाव रखता है। इनको हीरा अथवा श्वेत कपड़े पसंद होते हैं।
8. वृश्चिक राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल होते हैं। ऐसे जातक स्थिर प्रवृति के होते हैं। इनको अगर कुछ कहा जाए तो बदला लेने में पीछे नहीं हटते क्योंकि इनमें प्रतिशोध की भावना होती है। ये जिद्दी, परिश्रमी, ईमानदार, समझदार, ज्ञानी, साहसी व अपनी मेहनत से कार्य करने वाले होते हैं। अपना निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। एक जगह टिक कर कार्य कर सकते हैं। इनकी धार्मिक प्रवृति होती है। ये जो सोचते हैं वही करते हैं। इनको मेडिसिन, रिसर्च, पुलिस, साधना, खनिज़ पदार्थ और ख़ाना बनाने का काम पसंद आता है। इनमें गहराई को जानने की समझ होती है। ये सही समय पर अपने ज्ञान का इस्तेमाल करते हैं और सोच समझ कर निर्णय लेते हैं। इस राशि में उत्पन्न जातक सुंदर मुख वाला, परिश्रमी व अपने सामर्थ्य पर भरोसा करने वाला, धार्मिक प्रवृति वाला होता है। मंगल शुभ हों तो ये उत्साही, उदार, परिश्रमी, साहसी, ईमानदार, स्पष्टवादी, परोपकारी, व्यवहार-कुशल, कर्तव्यनिष्ठ, दृढ़संकल्प शक्ति वाले होते हैं। इनको भाई-बहनो अथवा सम्बन्धियों की सहायता कम मिलती है। ये निजी पुरुषार्थ द्वारा ही निर्वाह योग्य आय के संसाधन जुटा पाते हैं। ये तनिक विरुद्ध बात हो जाने से शीघ्र उत्तेजित हो जाते है, परन्तु सच्चाई अथवा सुपात्रता की दृष्टि से सुयोग्य जन की सहायता करने में अपने स्वार्थ की बलि देने में पीछे भी नहीं हटते। ऐसे जातक जिस कार्य को करने का निश्चय कर लेते हैं उसे दृढ़तापूर्वक पालन करने का प्रयास भी करते हैं। ये केमिस्ट, इंजीनियर, वकील, पुलिस, सेना-विभाग, अध्यापन, ज्योतिष, अनुसंधानकर्ता के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करते हैं।
9. धनु राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
सभी राशियों में यह सबसे शक्तिशाली राशि है। धनु राशि के स्वामी बृहस्पति होने से ऐसा व्यक्ति ज्ञानी व समझदार होता है परंतु गुस्सा जल्दी करता है। ये राशि वाले अग्नि प्रधान होने से कठिन कार्य या कोई समस्या होने पर सब्र व साहस से काम करते हैं। ऐसे लोग धार्मिक व परोपकारी होते हैं। ये निर्णय लेने में बहुत सोचते हैं कि क्या नकारात्मक होगा या क्या सकारात्मक। ऐसे लोग अध्यापक, धर्म-प्रचारक, वकील और पुस्तक का व्यवसाय करने वाले होते हैं। ये दूर की सोच सोचते हैं और भलाई करने में हमेशा तैयार रहते हैं। क्रोधित होने पर जल्दी मान भी जाते हैं। इनमें विवेक, शक्ति और पराक्रम होता है। अगर गुरु-बुध की स्थिति शुभ हो तो ऐसे व्यक्ति सौम्य, शांत, सरल स्वभाव, धार्मिक प्रकृति, उदार हृदय, परोपकारी, सवेदनशील, करुणा, दया आदि भावनाओं से युक्त होते हैं। इनमें दुसरों के मनोभावों को जान लेने की विशेष क्षमता होती है। इस राशि से प्रभावित व्यक्ति में बौद्धिक एवं मानसिक शक्ति प्रबल होती है। साथ-साथ अश्व जैसी तीव्रता, उत्साह एवं उत्तेज़ना से कार्य करने की क्षमता होती है। द्विस्वभाव राशि के कारण शीघ्र कोई निर्णय नहीं ले पाते और इनको क्रोध जल्दी नहीं आता परन्तु जब आता है, देर तक बेचैन रहते हैं। निजी पुरुषार्थ द्वारा जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति करते हैं, धन-सम्पदा, भूमि-जायदाद एवं सवारी आदि सुखों को प्राप्त करने में सफल होते हैं। अगर मंगल-गुरु शुभ हो तो उच्च व्यवसायिक विद्या प्राप्त करते हैं। ये शिक्षक, धर्म प्रचारक, राजनीतिक, वैद्य-ड़ाक्टर, वकील, पुस्तक के व्यवसाय क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।
10. मकर राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
मकर राशि के स्वामी शनिश्चर हैं। ये राशि शांत स्वभाव की धैर्यवान व सहनशील होती है परंतु ये लोभी भी होते हैं। इनका व्यवहार गहन विचार करने वाला व क्षमाशील होता है। ये लोग अच्छे व्यापारी होते हैं। ये चर राशि होने के कारण एक स्थान पर एक जगह टिक कर कार्य नहीं कर पाते। लेकिन ईमानदार व भली बुरी बात को बखूबी पहचानते हैं। इनके व्यवहार में अंदर व बाहर में फर्क होता है। अधिकतर तोल-मोल कर बात करते हैं और एकांतप्रिय, तपस्या व तप पसंद करते हैं। ऐसे जातक गंभीर, भावुक हृदय, संवेदनशील, उच्चाभिलाषी, सेवाधर्मी, मननशील एवं धार्मिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। अगर बुध एवं शुक्र शुभ हों तो ऐसे व्यक्ति गहन विचार एवं सूक्ष्म विश्लेषण के पश्चात ही महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं। ये क्षमाशील कम ही होते हैं तथा इनके लिए बदले एवं शत्रुता की भावना भुला पाना अत्यंत कठिन होता है। चर राशि होने से जातक की मानसिक एवं आत्मिक शक्ति प्रबल होती है। अगर गुरु-शनि शुभ हो तो जातक का स्वभाव विनयशील, व्यवहार-कुशल, नीति के अनुकूल आचरण करने वाला, तर्कशील, भली-बुरी बात की पहचान करने में कुशल, विश्वसनीय, मित्रता स्थापित करने में अत्यंत सावधान तथा ईमानदार होते हैं। ये तर्क-वितर्क करने में कुशल और इनके लिए अपने विरुद्ध बात को हृदय से भुला पाना कठिन होता है। ये खाँसी तथा वायु रोग से सावधानी बरते तो स्वास्थय के लिए सही रहता है।
11. कुम्भ राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
कुम्भ राशि के स्वामी शनिश्चर हैं। ऐसा व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। ये कल्पना शील व विचारो में खोए रहते हैं। इनको कई बातो की जिज्ञासा होती है और ये सब का भला सोचते हैं। इनका स्वभाव दयावान, निस्वार्थ, स्वतंत्रताप्रिय और देश-विदेश घूमने के शौकीन होते हैं। ये अपने बलबूते पर काम न कर किसी के नीचे काम करना पसंद करते हैं। ये लोग सेल्समैन, वकील व जज होते हैं। इन्हे आर्थिक क्षेत्र में विशेष संघर्ष करना पड़ता है। कभी कभी बनावटी व आडम्बर दिखाते हैं और लोभी भी होते हैं। ये अधिकतर अपने नाम व यश के लिए काम करते हैं और उसी की तलाश में रहते हैं। कभी कभी ये लोग किसी की परवाह भी नहीं करते। जातक का व्यक्तित्व प्रभावशाली एवं मिलनसार होता है। जातक बुद्धिमान, साधन-सम्पन्न, तीव्र स्मरण-शक्ति एवं गंभीर प्रकृति वाला होता है। जातक दूसरो के प्रति दयाभाव रखने वाला, परोपकारी एवं निस्वार्थ भाव से सेवा करने में तत्पर होगा। जातक स्वाभिमानी, स्वतंत्रताप्रिय एवं नए-नए मित्र बनाने में भी पीछे नहीं हटता। जातक उद्योगी, परिश्रमी होता है और इनमें प्रबन्धनात्मक योग्यता विशेष होती है एवं उपयुक्त साधन उपलब्ध होने पर देश-विदेशो में जाने के सुअवसर भी प्राप्त होते हैं। ये महत्वकांक्षी होते हुए भी क्रियात्मक दृष्टिकोण रखते हैं तथा अनेक विघ्न-बाधाओं एवं कठिनाइयों के बाद ही जीवन में उच्च स्थिति, धन-पद प्राप्त करने में सफल होते हैं। यदि गुरु मित्र क्षेत्री या शुभ राशि में हो तो जातक उच्चाधिकारी, उच्चपदासीन, क्रय-विक्रय में कुशल, प्रोफेसर, जज-वकील, उच्चपदाधिकारी या धनी व्यापारी होगा, परन्तु इनको आर्थिक क्षेत्र में विशेष संघर्ष व कठिनाईयोंं का सामना करना पड़ता है।
12. मीन राशि वाले जातक का व्यक्तित्व, गुण-दोष और स्वभाव
मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। ऐसा व्यक्ति गंभीर, बुद्धिमान व ज्ञानी, धार्मिक, धर्म-कर्म के कार्य करने वाला, पुस्तक व साहित्य में रूचि रखने वाला और परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढ़ालने वाला होता है। ये लोग जल के निकट रहना पसंद करते हैं। ऐसे व्यक्ति आर्टिस्ट, कलाकार, ज्ञानी, अध्यापक व ज्योतिषी होते हैं। इनकी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की स्थिति रहती है। ये शान्ति प्रिय, विवेकी, वेदों व धार्मिक पुस्तकों में रूचि रखते हैं। ये एक जगह पर टिक कर काम करना पसंद नहीं करते हैं पर कोई खोज़ का काम हो तो लम्बे समय तक मनन करते हैं। कभी-कभी निर्णय लेने में कमजोर रहते हैं और बहुत बार भ्रमित भी हो जाते हैं। मीन राशि में उत्पन्न जातक बुद्धिमान, गंभीर एवं सौम्य प्रकृति, परोपकारी, कार्य करने में तत्पर, सत्यप्रिय, धार्मिक, धर्म-कर्म एवं दार्शनिक, साहित्य एवं गूढ़विधायो की ओर विशेष अभिरुचि रखने वाला होता है। जातक उच्चाभिलाषी, उच्च महत्वाकांक्षी, स्वाभिमानी व अपनी मान-मर्यादा एवं प्रतिष्ठा का विशेष ध्यान भी रखने वाला होगा। जातक सेवाभाव रखने वाला, तीव्र बुद्धि, परिश्रमी, उद्यमी, दूरदर्शी, व्यवहार कुशल एवं नीति के अनुसार आचरण करने वाला, विश्वसनीय, ईमानदार तथा हर प्रकार से मित्रो एवं सगे-सम्बन्धियों के लिए सहायक होते हैं। जातक परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढ़ाल लेने की मज़बूत क्षमता रखने वाला होगा। दूसरों पर न तो अन्याय करेंगे न ही किसी भांति अन्याय को सहन करेंगे। जातक कलाकार, चलचित्र व्यवसाय, खाने-पीने की वस्तुओं से सम्बन्धित कार्य, समाज सुधारक व अध्यापन सम्बन्धी कार्यो में सफल होते हैं।