हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार आपके हाथों में मौजूद रेखाओं, चिन्हों और हाथ के आकार से आपके भाग्य, व्यक्तित्व, स्वभाव और यहां तक की पिछले जीवन के बारे में जानकारी मिल जाती है। व्यक्ति भाग्यशाली है या मेहनती, रेखाएं और निशान सभी सीक्रेट को सामने ला देते हैं। हाथ की रेखाओं से जान सकते हैं कि व्यक्ति का स्वभाव, व्यक्तित्व और चरित्र कैसा है।
हस्तरेखा ज्योतिष क्या है?
हस्तरेखा शास्त्र व्यक्ति को यह समझने में मदद करता है कि उसका भविष्य क्या है और यह पद्धति लोगों को कैरियर, रिश्तों और भाग्य के बारे में सलाह देता है? हस्तरेखा ज्योतिष में ऐसा करने के लिए व्यक्ति के हाथ की रेखाओं पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। तो आइए हस्तरेखा शास्त्र के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।

हस्तरेखा शास्त्र का महत्व
हस्तरेखा शास्त्र का अभ्यास लंबे समय से रुचि और अध्ययन का विषय रहा है। इसका महत्व किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने के लिए एवं चरित्र, भविष्य और जीवन में अवसरों और चुनौतियों से निपटने के लिए एक मार्गदर्शन और सलाह के रूप में मदद करता है।
1. खुद की खोज : हस्तरेखा शास्त्र का एक मुख्य लाभ यह है कि यह लोगों को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है कि वे कौन हैं और कौन सी खास विशेषताएं उन्हें लोगों से अलग बनाती है। किसी की हथेली पर रेखाएं, आकृतियां और पैटर्न ताकत, कमजोरी और प्रगति के क्षेत्रों को प्रकट कर सकते हैं।
2. रिश्तों पर सलाह : हस्त रेखा ज्योतिष के अनुसार, हथेली पर विभिन्न प्रकार की रेखाएं काफी महत्वपूर्ण होती हैं।वे व्यक्ति की भावनात्मक स्थिति, रोमांटिक इतिहास और रिश्तों के बारे में अच्छे से बताती है।
3. तंदुरुस्ती और अच्छी सेहत : हथेली पर मौजूद रेखाएं व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन से जुड़े अनेक बातों का संकेत देती हैं। हथेली पर मौजूद इन रेखाओं और अन्य चिह्नों को देखकर, हस्तरेखा शास्त्र का मर्मज्ञ यह निर्धारित कर सकता है कि आपकी हथेली की रेखाएं आपके बारे में और आपकी दीर्घायु क्षमता के बारे में क्या कहती हैं।
हस्तरेखा शास्त्र का प्रारम्भिक ज्ञान
बृहस्पति या तर्जनी : यह उंगली महत्वाकांक्षा, नेतृत्व और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करती है। इसके नीचे का क्षेत्र बृहस्पति पर्वत के नाम से जाना जाता है।
शनि या मध्यमा अंगुली : यह अनुशासन, जिम्मेदारी और संतुलन का प्रतीक है। इसके नीचे का क्षेत्र शनि पर्वत के नाम से जाना जाता है।
सूर्य या अनामिका : यह रचनात्मकता, प्रसिद्धि और सफलता का प्रतिनिधित्व करती है। इसके नीचे का क्षेत्र सूर्य पर्वत के नाम से जाना जाता है।
बुध या छोटी अंगुली : यह संचार, वाणिज्य और होशियारी का प्रतीक है। इसके नीचे का क्षेत्र बुध पर्वत के नाम से जाना जाता है।
शुक्र या अंगूठा : यह आपके प्रेम, कामुकता और सौंदर्य बोध का प्रतिनिधित्व करता है। इसके नीचे का क्षेत्र शुक्र पर्वत के नाम से जाना जाता है।
इसके अतिरिक्त, हथेली का केंद्र अक्सर राहु से, निचला भाग केतु से और अंगूठे के विपरीत भाग चंद्रमा से जुड़े होते हैं।

हृदय रेखा : यह रेखा छोटी उंगली के नीचे हथेली के किनारे से शुरू होकर हथेली के पार तर्जनी की ओर जाती है। यह भावनात्मक स्थिति, हृदय से जुड़े स्वास्थ्य और रिश्तों का प्रतिनिधित्व करती है।
मस्तिष्क रेखा : यह रेखा अंगूठे और तर्जनी के बीच हथेली के किनारे से शुरू होकर दूसरे किनारे की ओर जाती है। यह रेखा बौद्धिक प्रवृत्ति, मानसिक स्थिति और निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाती है।
जीवन रेखा : यह रेखा अंगूठे और तर्जनी के बीच से शुरू होती है और कलाई की ओर बढ़ती है। यह स्वास्थ्य और जीवन में बदलाव के बारे में जानकारी देती है।
भाग्य रेखा : भाग्य रेखा हथेली के बीच में होती है और यह मणिबंध से निकलकर ऊपर की ओर जाती है।
हस्त रेखा शास्त्र उंगलियों का महत्व
हस्तरेखा विज्ञान में प्रत्येक उंगली को खंडों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक एक अलग पहलू का प्रतिनिधित्व करता है।
पहला या शीर्ष पर्व : महत्वाकांक्षाओं, इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
दूसरा या मध्य पर्व : सामाजिक स्थिति, प्रभाव और शक्ति का प्रतीक है।
तीसरा या निचला पर्व : प्रवृत्ति, भौतिकवादी प्रवृत्ति और व्यावहारिकता को दर्शाता है।

हस्त रेखा शास्त्र में अंगुलियों के निशान और उनका अर्थ
हस्तरेखा शास्त्र में उंगलियों के निशान का भी महत्वपूर्ण स्थान है। वे किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
शंख (लूप) : लचीलेपन, अनुकूलनशीलता और खुले दिमाग का संकेत देते हैं।
चक्र (व्होर्ल्स) : चक्र व्यक्तित्व, मुखरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
चाप (आर्क) : व्यावहारिकता, विश्वसनीयता और विनम्रता का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त वर्ग, कोण एवं यव आदि के चिन्ह भी हथेली में शुभता का प्रतीक होते हैं।